अभी मै जानती हूँ तुम बहुत परेसान हो प्रिया अभिमन्यु को अभी कह कर बुलाती है मै तुम्हे और परेसान तो

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अभिमन्यु बहुत तेज दौड़ रहा था आज कुछ भी हो जाये उसे उस दौड़ में सबसे आगे रहना ही है नहीं तो उसका जीवन का लक्ष्य उसके हाथ से निकल जायेगा वेसे भी यह उसका अंतिम अवसर है उसके ऊपर उसके पूरे परिवार की जिम्मेदारी भी है यदि आज वह इस दौड़ से बहार हो जाता है तो उसके भाई बहन की पढाई लिखाई का क्या होगा माँ का क्या होगा, उसके सपने और हाँ उसकी दोस्त प्रिया जिससे से उसने जीवन संगनी बनाने का वादा किया है उसका क्या होगा अभिमन्यु का सपना फोजी ड्रेस पहन अपने देश की सेवा करने का है वह बचपन से ही इसके सपने देखता आया है और इसके अलवा कुछ नहीं यदि वह भरती हो जाता है तो उसका सपना ही नहीं पूरा होगा अपितु उसकी सारी समस्याओं का भी समाधान हो जाये गाय उसने इससे पहले भी फोज में भारती होने के लिए तीन बार दौड़ लगाई थी परन्तु दौड़ में नहीं निकल पाया था फोज में सिपाही भारती होने की अधिकतम उम्र सीमा 21 साल है इसके बाद अभिमन्यु की उम्र २१ पार हो जाएगी और फिर वह फोज मै भरती नहीं हो पायेगा और इतना समय उसके परिवार के पास नहीं की वे किसी और नौकरी के लिए इन्तेजार कर सकें दोड़ते हुए अभिमन्यु के दिमाग में न जाने ऐसे कितने विचार बिजली की गति से चल रहे थे ये कहानी है अभिमन्यु की वह पहाड़ के गाँव में रहता है वह बी0ए0 फाइनल इयर में है वेसे तो पारिवारिक रूप से एक सामान्य परिवार से ही है पिता जो पहले नौकरी करते थे अब इस दुनिया में नहीं रहे परिवार में माँ, छोटी बहन और एक भाई है हो अभी पढ़ रहे हैं जब तक पिता जीवत थे तो घर का गुजरा उनकी कमाई से हो ही जाता था उसके पिता को गुजरे अभी 6 महीने हुए हैं उनका पूरा परिवार उन्हें बहुत यद् करता है उनकी मृत्यूं के बाद से उनकी आर्थिक स्तिथि बहुत दयनीय हो गयी है सुभ सुभ अभी अभिमन्यु और सभी भाई बहन सो कर ही उठे है तभी उसकी छोटी बहन जो 5 क्लास में पड़ती है बोली भय्या क्या पापा अब कभी भी नहीं आएंगे? क्या हम उनसे मिलने नहीं जा सकते ? क्या पापा को हमारी याद नहीं अति होगी ? पापा तो बोलते थे की मै उनकी परी हूँ फिर वो हम सब को अकेला छोड़ क्यूँ चले गए ? मुझे तो उनकी बहुत याद आती है और रोने लगी अभिमन्यु के पास आँखों में आंसुओं के अलाव कोई जवाब नहीं था उसने अपनी छोटी बहन के आँखों में आ रहे आंसुओं को पोंचा और उसको गले लगा लिया वह अभी कुछ बोल उसे टहलना ही चाहता था की उसने फिर से बोला