कालेज की बहुत सारी लड़कियां भी उसपर मरती थी कॉलेज में उसकी बहुत ही सुन्दर एक गर्लफ्रेंड भी थ

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भय्या मेरा आज किसी भी चीज का मन नहीं आशीष ने बोला और उठ कर जाने लगा तभी बाबूसाहब ने पुछा क्या हुवा आज क्यूँ इतना नाराज है बाबुसहब ongc में डायरेक्टर के पद पर कार्यरत हैं औ यह मुकाम उन्होंने छोटी सी उम्र में ही हासिल कर लिया उनकी उम्र अभी मात्र 29 साल ही है और वे प्रत्येक इतवार को अपने अधीन कार्य कर रहे कर्मचारियों के बच्चे को जो कॉलेज में हैं या फिर कॉलेज में जाने वाले हैं के लिए निशुल्क करियर गौइदेंस और tusion पढ़ते हैं आज अभी करियर कोउन्क्लिंग के लिए वे क्लास शुरू ही करने वाले थे की आशीष जो अभी कॉलेज में पड़ता है मूड बहुत ख़राब होने की वजह से क्लास छोड़ कर जा रह है तभी बाबूसाहब ने बोला आशीष ठहरो आज तो मै तुम सब को एक कहानी सुनाने जा रहा हूँ चले जाना पर कहानी सुन कर जाओ यह कहानी है एक लड़के रूद्र की रूद्र के पिता सरकारी नौकरी करते हैं वे एक चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी है रूद्र अपने माँ बाप और छोटी बहन के साथ सरकारी कालोनी में ही रहता है बहन 10 में पढ़ती है और रूद्र ने अभी १२ पास कर कॉलेज में दाखिला लिया है रूद्र की माँ और पिता ज्यादा पढ़े लिखे नहीं हैं परन्तु रूद्र के पिता ने अपने बच्चों को पढ़ाने में कोई कमी नहीं छोड़ी थी परन्तु रूद्र के विचार कुछ और थे उसके दिल में यह कुंठा थी की उसके पिता चुतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी है और उसका वह रुतबा नहीं है जो कालोनी में रह रहे और बच्चों का है यही कारन रहा की बच्चपन से लेकर आज तक कालोनी के वे बच्चे रूद्र को अपने साथ न तो खेलने के लिए बुलाते थे बल्कि कभी गलती से एसा हो भी जाता था तो उसे तुच्छ मानते थे यही वजह थी की रूद्र को लगता था की उसके पिता के द्वारा मिली उसकी पहचान उसके लिए हमेसा सार्वजानिक बदनामी और अपमान लेकर आई है वह अपने पिता से कभी भी सीधे मूह बात नहीं किया करता अपने माँ बाप को अक्ल में अपने से कम समझता थ और सोचता था की उसके माँ और बाप कभी भी उसे समझ नहीं सकते यही वजह थी जब वह कॉलेज गया तो वहां कॉलेज के छात्रों से यह बात छुपाने की कोशिस करता था की वह कोन है और कहाँ रहता है वह अपने आप को अच्छा दिखने के लिए महंगे कपड़ों जूतों और मोबाइल पर अधिक ध्यान देता था जब भी माँ या पिता बोलते थे की पढाई करले और इन फालतू की चीजों में पैसा और समय व्यर्थ न करो तो वह बोलता था की आप लोग कभी कॉलेज भी गए हो मुझे मत समझाओ कब पड़ना है मै करलूँगा बारवीं में कोनसा आप लोंगोने ने पढाया था मेने तो तभ भी 85 % अंक प्राप्त किये थे माँ और पिता मन मशोस कर रह जाते थे पर उनके पास उसको समझाने का कोई उपाय भी तो नहीं था एक बात तो थी देखने में रूद्र किसी हीरो की तरह लगता था गोरा लम्बा और सुन्दर अपने कोलेज के स्मार्ट और सुन्दर लड़कों में से वह भी एक था कालेज की बहुत सारी लड़कियां भी उसपर मरती थी कॉलेज में उसकी बहुत ही सुन्दर एक गर्लफ्रेंड भी थी नीतिशाह रूद्र को उसके साथ समय बिताना और साथ रहना बहुत अच्छा लगता था इसके चलते वह अधिकतर समय अपनी कॉलेज की क्लास बंक करके उसके साथ समय बिताता था नीतिशाह को भी उसके साथ रहना बात करना बहुत पसंद था परन्तु उसकी एक बात अच्छी थी कि वह कभी भी अपने क्लास बंक नहीं करती थी कुछ ही महीनो में वे दोनों पूरे कॉलेज में फेमस हो गये थे उनकी दोस्ती और प्यार की सब मिसाल देने लगे थे और हर और उनकी ही चर्चा होती थी कॉलेज का प्रथम वर्ष केसे बीता पता ही नहीं चला परीक्षा हुई नीतिशाह पास और रूद्र फ़ैल हो गया रूद्र जो की अपने माता पिता का गर्व था जिसने १२वीन में 85% अंक प्राप्त किये थे प्रथम वर्ष में फेल हो गया था फेल होने की वजह से रूद्र बहुत ही शर्मिंदा और अपमानित महशूस करने लगा था और तो और नीतिशाह ने भी उससे मिलना और यहं तक की उसके messges का जवाब देना छोड़ दिया था उसे इतनी शर्म महसूस होने लगी की उसने कॉलेज जाना छोड़ दिया उसने कभी भी अपने माता पिता की बातों पर ध्यान नहीं दिया था और जब भी वे रूद्र को समझाना चाहते थे तब उसने अपने माता पिता को कम अक्ल समझा था रूद्र अपनी ही करनी और परिस्तिथि से टूट गया उसे लगा अब जीवन में वह कुछ नहीं कर सकता और लोग उसका मजाक बनायेंगे धीरे धीरे वह डिप्रेशन में चला गया वह अपने कमरे में ही रहता और किसी से कोई बात नहीं करता उसे हर समय किसी न किसी बात की चिंता होती थी उसे एक अंजना सा भय लगा रहता था वह हमेसा उदास और अपराधबोध से घिरा