Pranav Rathore
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हिंदी #हिंदी #hindi hindi कविता साहित्य , निबंध , शायरी , उपन्यास , महाकाव्य Pranav rathore

कारवां गुजर गया

स्वप्न झरे फूल से, मीत चुभे शूल से
लुट गये सिंगार सभी बाग़ के बबूल से
और हम खड़े-खड़े बहार देखते रहे।
कारवाँ गुज़र गया गुबार देखते रहे।...
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जीवन नही मारा करता है

छिप-छिप अश्रु बहाने वालों !
मोती व्यर्थ बहाने वालों !
कुछ सपनों के मर जाने से जीवन नहीं मरा करता है।

सपना क्या है? नयन सेज पर
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"सत्य ही तो, जा चुके सब लोग हैं दूर ईष्या-द्वेष, हाहाकार से ! मर गये जो, वे नहीं सुनते इसे ...

"सत्य ही तो, जा चुके सब लोग हैं दूर ईष्या-द्वेष, हाहाकार से ! मर गये जो, वे नहीं सुनते इसे; हर्ष क स्वर जीवितों का व्यंग्य है। " स्वप्न-सा देखा, सुयोध...
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कवि का माथा ही है अंबर , कवि के पद से पाताल बनी

कवि का माथा ही है अंबर , कवि के पद से पाताल बनी । कवि के अधरो की लाली से रंगरूप उषा का काल बना । कवि रोया सावन घन उमड़ी मारू की चीर संचित प्यास बुझी ,...
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