Arts
जो लेटा था चादर में खून से सना, एक वादा करके सरहद पर गया था, कि जब मैं घर आऊंगा एक लाल चुनर तेरे लिए लाऊंगा। तू इस घुंघट में क्या बड़ी खूब दिखती है, यह बिंदिया, चूड़ी, कंगन और चुनर, तुझ पर क्या खूब जचती है । --- Send in a voice message: https://anchor.fm/poetry62/message