दोनों बहिने हौंसला नहीं हारी थी वे जानती थी अभी समय ख़राब है और एक दिन वो अपने होंसलों से उड़ान जरूर

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तानवी और तान्या दो बहुत ही खुबसूरत बहने हैं दोनों में केवल एक साल का अंतर है परन्तु देखने से पता नहीं चलता अमूमन लोग उन्हें जुड़वां ही समझते हैं तनवी ग्रेजुएशन कर चुकी है जबकि तान्या फाइनल इयर में है देखने में दोनों बहने गोरी, छरहरी काया की और बहुत ही खुबसूरत हैं दोनों का ही सपना ग्रेजुएशन पूरा करने के साथ साथ फोज में ऑफिसर के तोर पर भरती होना है पिता पहले बहुत अच्छी सरकारी नौकरी में थे पर नशे की लत के चलते अपनी नौकरी गवां बैठे अब इसे ही दिहाड़ी मजदूरी करते रहते हैं और जो कमाते है वो शराब में उड़ा देते हैं माँ ही सिलाई कड़ाई करके जेसे तेसे घर का खर्च चलती हैं तनवी और तान्या अपने कॉलेज की फीस और अपने अन्य खर्चों के लिए आस पास के दसवीं और बारवीं के बच्चों को tusion पढ़ती हैं इसके दो फायदे हो जाते हैं उनकी प्रतियोगिता परीक्षाओं की तयारी हो जाती है और खर्चे के लिए अच्छे खासे पैसे मिल जाते हैं जिनसे वे कॉलेज की फीस, कॉलेज आने जाने का किराया और कुछ पैसे घर खर्च के लिए माँ को देदेते हैं उनके पिता इतने निर्लज हैं की कभी कभी शराब पिने के लिए पैसे न होने पर अपनी बेटियों के कॉलेज बैग से भी पैसे चोरी कर लिया करते हैं दोनों बहिनों का आपस में बहुत प्यार था पर जब बात पढाई की या प्रियोगिता परीक्षा की होती थी .तो एक दुसरे के पक्के प्रित्द्वंदी थे उनकी कठिन महनत लगन और निरंतरता को देख लगता है की वो दोनों अपने लक्ष्य हासिल बहुत जल्दी ही कर लेंगी दोनों ने बचपन से जीवन के कठिन अनुभवों को बहुत अच्छे से अनुभव कर लिया था और इसमें उनके पिता का सबसे बड़ा योगदान था उनकी माँ तृष्णा जो की बहुत पढ़ी लिखी तो नहीं थी परन्तु बहुत ही समझदार महिला थी वो केसे भी करके कुछ पैसे हर महीने बुरे समय के लिए बचा कर रख लेती थी और अपने पति को पता न चले इसलिए उन्हें पूजा स्थान में छुपा दिया करती थी एसा नहीं था की उनके पिता केवल घर से पैसे ही चोरी किया करते थे बल्कि शराब पी कर जहाँ तहां पड़े रहते थे और फिर उन्हें उनको उठा कर घर तक लाना पड़ता था माँ तो अपने आप को बहुत ही अभागा समझती थी परन्तु अपनी प्यारी सी बच्चियों को कास्ट झेलते देखती थी तो बहतु रोति थीं दोनों बहिने भी जब अकेले होतीं थी तो पिता को लेकर बहुत परेसान रहती थी दी कितना अच्छा होता न अगर पापा शराब पीना छोड़ दें तान्या ने कहा हम्म बोल तो तू सही रही है पर काश एसा हो सकता, यदि एसा हो जाता तो हमे दुःख ही नहीं होते सरे दुखोन का कारण ही पापा का शराब पीना है तन्वी ने बोला सही कहा दी तूने यदि पापा शराब न पीते तो हम भी tusion नहीं पढ़ा रहे होते और दोतों की तरह मजे कर रहे होते घुमने जाते अच्छे कपडे पहनते तानवी ने बोला तान्या छोड़ एसी बातें सोचना क्यूंकि यह शायद हमारे इस जन्म में तो संभव ही नहीं हमे तो पैदा ही शायद माँ के साथ दुःख सहने के लिए हुए हैं तानवी ने बोला दी मै तो इसी जन्म में सब कुछ बदल कर रहूंगी मुझसे नहीं देखा जाता माँ का दुःख तान्या ने कहा चाहती तो मै भी हूँ पर मेरी छोटी बहन बातों से पेट नहीं भरता उसके लिए महनत करनी होती है देखते हैं हमारे भाग्य में क्या लिखा है तानवी ने बोला सभी लोग उसके पिता को शराबी, निक्कमा, बेशर्म निर्लज आवारा और न जाने किन किन नामों से अलंकृत करते थे परन्तु उन दोनों बहिनों के कठिन प्रयोंसों, महनत और आत्म बल को देख उनकी बड़ी प्रशंसा किया करते थे वे बोलते थे तृष्णा की बेटियां एक दिन उसका ही नहीं बल्कि हमारे पुरे जनपद का नाम देश में रोशन करेंगी सभी जानते थे की वे पढ़ें लिखने में बहुत होसियार हैं इसलिए दूर दूर से बच्चे उनके पास पढ़े आते थे और इससे से तनवी और तान्या को बहुत होसला मिलता था एक दिन की बात है जब दोनों बहिने रविवार को अपनी सी०डी ०एस की परीक्षा से घर जा रही थी तभी एक मन चले लड़के ने उन्हें परेसान करने के इरादे से बहुत तेजी से motercycle उनके बगल से निकलते हुए ले गया और एक बहुत जोर का प्रेशर हॉर्न बजाय तान्या एकदम उस आवाज को सुन चोंक गयी और अपना संतुलन खो सड़क में गिर गयी वह सड़क बहुत व्यस्त थी तान्या को बचने के लिए तनवी भी उसकी और तेजी से बड़ी परन्तु तब तक पीछे आ रही एक कार से उन दोनों बहिनों को टक्कर मार दी आस पास के लोगों ने दोनों बहिनों को तुरंत उठा उसी कार से हॉस्पिटल पहुँचाया और उन्हें भरती करवाया उनके पास मिले प्रवेश पत्र में घर के एड्रेस पर मेसेज पहुंचवाया की उनकी बेटिय