Society & Culture
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ये पल ही तो है, जो ज़िंदगी के मायने बदल देते है.. कभी खुशी को गम में तो कभी गम को बेहतरीन खुशियों में बदल देते है। जब पता है कि ये कुछ भी स्थाई नहीं है ना सुख ना दुःख तो फिर क्यों इस भँवर में पड़ना? क्यों दुःखों का बोझा उठाएं फिरना, इन गमों के बाद बेहतरीन खुशियों के पल भी आएंगे जब हम ये सारे दुःख भूल जाएंगे।इसलिए जो भी परिस्थितियाँ आएं हमारे सामने उसे स्वीकार कर उसमें बेहतर करना ही हितकारी है।