Featuring Abhinandan Mishra || मैं एक आवारा सा पत्ता || Bazm Ae Sukhan 2.0 || SIV Writers

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Scribbling Inner Voice (SIV)

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Featuring Abhinandan Mishra !

More about Abhinandan Mishra : अभिनंदन बिहार राज्य के जिला खगड़िया में बहने वाली गंगा नदी के तट पर बसे हुए एक छोटे से कस्बे का रहने वाला है,जिसकी उच्च शिक्षा अर्थशास्त्र से स्नातक तक हुई है।ये साहित्यिक गहराईयों से अनभिज्ञ,लेखन के क्षेत्र में करीब 1.5 साल से है,जहाँ ये अपने ख्यालों और नजरिये को उचित शब्द देने की कोशिश करता रहता है।ये हिंदी और उर्दू की मिश्रित भाषा का इस्तेमाल अपनी कविता,कहानियों,ख़यालों और शेरों के लिए करता है।क्योंकि इसके ख्याल खुद में एक उलझन और आवारगी का छाप रखते हैं तो ये 'आवारा हूँ ' कलम नाम से लिखते हैं।इनकी इंस्टाग्राम पटल awara_hu के नाम से है।शौक:लेखन,पाठन,तस्वीरकारी लक्ष्य:सुकून।

 मैं एक आवारा सा पत्ता :

मैं एक आवारा सा पत्ता हवाओं की रवानी देखता हूँ,पत्थर फेंककर दरिया में बिखरा हुआ पानी देखता हूँ।

इमरोज़ जो ये खुशबू सी कुछ आ लगी है मुझ से,इसमें मैं माजी की कोई गुम गयी निशानी देखता हूँ।

किस्सा जो मुकम्मल तो नहीं पर मुमकिन जरूर है,मैं उस किस्से के हद से बाहर की हैरानी देखता हूँ।

बदलते मौसमी इश्क़ ने मेरा एक उम्र निचोड़ रक्खा है,और मैं जो इतने के बाद भी लब नहीं पेशानी देखता हूँ।

मेरा उम्र बचपने का तो ढल ही रहा है रोज-ओ-शब,फिर मैं तजरबों से आ रही मेरी जवानी देखता हूँ।

ख्याली पलों में मैं कुरेदता हूँ किरदार कई तरह के,फिर किरदार में खोकर खत्म हुई कहानी देखता हूँ।

©अभिनंदन मिश्रा