Featuring Amarjeet Singh || गरीब की जिंदगी || Earn Name and Fame Services 2.0 || SIV Writers

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Scribbling Inner Voice (SIV)

Society & Culture


More about Amarjeet : Amarjeet Singh born and brought up in Village-Lakhmari, Distt.-Kurukshetra(land of Mahabharata).He is a bachelor's degree (B.A.) student in Sanatan Dharma College, Ambala Cantt . He brings truth in his words .He loves to play drama,open mic, gardening and writing poetry . He has been part of 40+anthologies as a co-author and won many daily poem challenges.Now He is working in two different communities as a Judge and Reviewer.You can visit insta page :poe_try9826

Writeup:

गरीबी का शुरू से ही रहा बुरा हाल,

इसने किसी को किया कंगाल,

किसी का जीना हो गया बेहाल।

ना तरस खाए देवी लक्ष्मी,

न कुछ मदद करे सरकार,

इससे बुरा और क्या होगा समाचार।

कोई घटाता है पेट जिम जाकर,

पर कोई न देता रोटी गरीबों पर तरस खाकर।

नेता के मुख पर देख गरीब अपने नाम की स्माइल,

पर वो न समझ पाए ये तो है उनका वोट मांगने का स्टाइल।

भरती रहती है सरकार अपनी झोली,

पर कभी तो लगा देती है नाम की बोली।

जब जब गरीबी है डोली,

उनसे सरकार की पोल है खोली।

पर गरीबी को मिटाने के लिए किसी ने अपनी आंख न खोली,

बस खेलते रहते हैं गरीबों के साथ आंख मिचौली।

सोना उगाने वाले किसान को उठाना पड़ता है कर्जा,

पैसा न चुका पाने के कारण

उनको अपनी मौत के कारण से

भरना पड़ता है पर्चा।

पढ़ाई करने वाले बच्चों को करनी पड़ती है मजदूरी,

पेट भरने के लिए काम करना हो गया है मजबूरी।

यहां लोग अपना स्वार्थ हैं जानते,

गरीब के दर्द को न पहचानते।

गरीब करते एक ही दुआ,

किसी को न मिले गरीब होने की बद्दुआ।

सब पेट भरकर सोए,

किसी का बच्चा न रोए,

ऐसा भारत देश संजोए।