कविता :-- कोई गीतां गाई व्हैला (कानदान जी कल्पित)

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जूनी घड़ियां री ओळूं रै, समचै हिचकी आई व्हैला | भावां रे समंद हबोलां में, कोई गीता गाई व्हैला ||