Nazar bhar dekh le

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Krishna Bhajan

Society & Culture


नजर भर देख ले मुझको शरण में तेरी आया हूं 

कोई माता पिता बंधु सहायक है नहीं मेरा

 काम और क्रोध दुश्मन से बहुत दिन से सताया हूं

 भुलाकर याद को तेरी पड़ा दुनिया के लालच में

 माया के जाल में चारों तरफ से मैं फंसाया हूं

 कर्म सब नीचे हैं मेरे तुम्हारा नाम है पावन

 तार संसार सागर से गहन जल में डुबाया हूं 

छुड़ाकर जन्म बंधन से चरण में राख ले अपने

वो ब्रह्मानंद में मन में यही आशा लगाया हूं