Sadhak Sanjivani / साधक संजीवनी
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Chapter 1, Shloka 24,25,26,27 / अध्याय १ - श्लोक 24,25,26,27

संजय उवाचएवमुक्तो हृषीकेशो गुडाकेशेन भारत।सेनयोरुभयोर्मध्ये स्थापयित्वा रथोत्तमम्।।1.24।।1.24।। व्याख्या--'गुडाकेशेन'--'गुडाकेश' शब्दके दो अर्थ होत...

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Chapter 1, Shloka 7,8 / अध्याय १ - श्लोक 7,8

अस्माकं तु विशिष्टा ये तान्निबोध द्विजोत्तम।

नायका मम सैन्यस्य संज्ञार्थं तान्ब्रवीमि ते।।1.7।।

भवान्भीष्मश्च कर्णश्च कृपश्च समितिञ्जयः...

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Chapter 1, Shloka 4,5,6 / अध्याय १ - श्लोक 4,5,6

अत्र शूरा महेष्वासा भीमार्जुनसमा युधि।

युयुधानो विराटश्च द्रुपदश्च महारथः।।1.4।।

धृष्टकेतुश्चेकितानः काशिराजश्च वीर्यवान्।

पुरुजि...

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Chapter 1 - Shloka 2 & 3 / अध्याय 1 - श्लोक २ एवं ३

सञ्जय उवाच दृष्ट्वा तु पाण्डवानीकं व्यूढं दुर्योधनस्तदा। आचार्यमुपसङ्गम्य राजा वचनमब्रवीत् ।। 1.2 ।। पश्यैतां पाण्डुपुत्राणामाचार्य महतीं चमूम्। व्यूढ...
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Chapter 1 - Shloka 1 / अध्याय १ - श्लोक १

धृतराष्ट्र उवाच धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे समवेता युयुत्सवः। मामकाः पाण्डवाश्चैव किमकुर्वत सञ्जय ।। 1.1 ।।
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