यहाँ हम सुनेंगे कविताएं – पेड़ों, पक्षियों, तितलियों, बादलों, नदियों, पहाड़ों और जंगलों पर – इस उम्मीद में कि हम ‘प्रकृति’ और ‘कविता’ दोनों से दोबारा दोस्ती कर सकें। एक हिन्दी कविता और कुछ विचार, हर दूसरे शनिवार... Listening to birds, butterflies, clouds, rivers, mountains, trees, and jungles - through poetry that helps us connect back to nature, both outside and within. A Hindi poem and some reflections, every alternate Saturday...
विनोद कुमार शक्ल की कविता 'जलप्रपात है समीप' हमें एक झरने के पास ला कर खड़ा कर देती है। वो हमें मजबूर करती है के हम उसकी आवाज़ को गौर से सुनें - और उस ए...
गुलज़ार को शब्दों का चित्रकार माना जाता है। उनकी कविता 'थिंपू-भूटान' में एक पहाड़ हमसे इस तरह मुख़ातिब होता है, मानो हमारे परिवार का ही कोई बुज़ुर्ग हो -...
केदारनाथ सिंह की कविता ‘नदियाँ’ एक नदी की तरह ही बहती है। वह हमें कई परिदृश्य दिखाती है, कई ऐसे मोड़ लेती है जो हमें चकित कर छोड़ते हैं, और अंततः जब उसक...
कुँवर नारायण अपनी कविताओं में अक्सर पेड़ों से बातें करते थे। उनकी कविता 'मेरा घनिष्ठ पड़ोसी' हमें एक ऐसे पेड़ से मिलवाती है जो न सिर्फ उनका पुराना पड़ोसी ...
कुँवर नारायण अपनी कविताओं में अक्सर पेड़ों से बातें करते थे। उनकी कविता 'मेरा घनिष्ठ पड़ोसी' हमें एक ऐसे पेड़ से मिलवाती है जो न सिर्फ उनका पुराना पड़ोसी ...
यहाँ हम सुनेंगे कविताएं – पेड़ों, पक्षियों, तितलियों, बादलों, नदियों, पहाड़ों और जंगलों पर – इस उम्मीद में कि हम ‘प्रकृति’ और ‘कविता’ दोनों से दोबारा दो...
यहाँ हम सुनेंगे कविताएं – पेड़ों, पक्षियों, तितलियों, बादलों, नदियों, पहाड़ों और जंगलों पर – इस उम्मीद में कि हम ‘प्रकृति’ और ‘कविता’ दोनों से दोबारा दो...